मेरी प्यारी गुड़िया
एक प्यारी सी मुस्कान
घर की ख़ुशी की पहचान
उस घर की पहचान बनेगी
जिस घर से अनजान।
मेरी प्यारी सी गुड़िया
जब ये नन्ही सी परी मेरे घर आयी
ख़ुशीयों की सौग़ात है लायी
पापा को भी गुड़िया भायी
और गुड़िया को भी गुड़िया भायी।
मेरी प्यारी गुड़िया
घर के आँगन को महकाती है
ये प्यारी सी गुड़िया डोली में जब जाती है
प्यारे से पापा की जान गुड़िया में बस जाती है।
ख़ुशीयों की जन्नत में बैठे
माँ केवल यह कह पाती है।
नीरज “मनन”
Daughter’s day ke occasion pe bahut hi pyari kavita 👌