सावन की शुरुआत है आज से इसलिए सावन पर एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ।
शीर्षक- वो सावन याद दिलाता हूँ।
कोई ग़ज़ल सुना कर तुमको, वो सावन याद दिलाता हुँ।
जब हम पहली बार मिले, वो बारिश याद कराता हुँ।
नन्ही नन्ही बूँदों संग, जब वो हमसे उलझे थे,
उलझी ज़ुल्फ़ों संग खोने के, अफ़साने अब सुनाता हुँ।
हम दोनो की आँखों में, जब वो कोमल सपने थे,
सावन में अब भीग-भीग, वो बातें याद दिलाता हुँ।
सावन का वो पहला झूला, झूल गए थे हम दोनो,
उन पेड़ों के झूलों की, डाली तक मैं जाता हूँ।
सावन जब भी आता है, तेरी यादों को लाता है
रिमझिम गिरती बूँदों संग, तेरी आहट को पाता हुँ।
बूँदों संग आलिंगन कर, जब मैने वो माथा चूमा था
वैसी बातें वैसी रौनक़, चेहरे पर फ़िर लाता हुँ।
शब्दों के संग बरस रही, तुम काग़ज़ पर फूलों सी,
सावन का यह जादू है, तुमको अब बतलाता हुँ।
(Audio in my voice)
Neeraj “मनन”
Waah, bahut badhiya likha hai 👌
Thanks